आज हम हमारे इस नऐ article मे Mirza Ghalib Shayari in Hindi, Quotes, Poetry and Sher का new Hindi Shayari collection देखने वाले है |
Mirza Ghalib कौन थे? अगर आप hindi shayari, poetry, sher के दिवाने है तो आपको Mirza Ghalib के बारे मे बताने कि आवश्यकता नही है, लेकिन फिर भी मे आपको बताना चाहूँगा कि mirza ghalib यह 1800 के समय मे और आज भी एक popular shayar है | यह एक famous indian poet के नाम से भी जाने जाते है |
तो चलिए शुरवात करते हैं, हमारे इस Shayari collection को जीसका नाम है,
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Mirza Ghalib Shayari
in Hindi, Quotes,
Poetry and Sher
हुई मुद्दत कि 'ग़ालिब' मर गया पर याद आता है,
वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता !
यही है आज़माना तो सताना किसको कहते हैं,
अदू के हो लिए जब तुम तो मेरा इम्तहां क्यों हो
Mirza Ghalib Shayari
इश्क़ पर जोर नहीं है ये वो आतिश 'ग़ालिब',
कि लगाये न लगे और बुझाये न बुझे
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Shayari In Hindi |
तुम न आए तो क्या सहर न हुई
हाँ मगर चैन से बसर न हुई
मेरा नाला सुना ज़माने ने
एक तुम हो जिसे ख़बर न हुई
Mirza Ghalib Best Shayari
काबा किस मुँह से जाओगे 'ग़ालिब'।
शर्म तुम को मगर नहीं आती।।
दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है।
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है।।
Mirza Ghalib Shayari in Two Lines
इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना।
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना।।
दिल से तेरी निगाह जिगर तक उतर गई।
दोनों को इक अदा में रज़ामंद कर गई।।
Mirza Ghalib Shayari Hindi
क़र्ज़ की पीते थे मय लेकिन समझते थे कि हां।
रंग लावेगी हमारी फ़ाक़ा-मस्ती एक दिन।।
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले।
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।।
Mirza Ghalib Shayari in Hindi
दर्द जब दिल में हो तो दवा कीजिए।
दिल ही जब दर्द हो तो क्या कीजिए।।
पियूँ शराब अगर ख़ुम भी देख लूँ दो चार।
ये शीशा-ओ-क़दह-ओ-कूज़ा-ओ-सुबू क्या है।।
Mirza Ghalib 2 Line
Shayari in Hindi :
कोई मेरे दिल से पूछे तिरे तीर-ए-नीम-कश को।
ये ख़लिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता।।
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हुआ जब गम से यूँ बेहिश तो गम क्या सर के कटने का।
ना होता गर जुदा तन से तो जहानु पर धरा होता।।
Old Shayari Mirza Ghalib
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता।
अगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता।।
हम जो सबका दिल रखते हैं
सुनो, हम भी एक दिल रखते हैं
Mirza Ghalib ki Shayari Hindi Me
कुछ तो तन्हाई की रातों में सहारा होता,
तुम न होते न सही ज़िक्र तुम्हारा होता !!
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Romantic Shayari |
हमारे शहर में गर्मी का यह आलम है ग़ालिब
कपड़ा धोते ही सूख जाता है
पहनते ही भीग जाता है
2 Lines Shayari by Mirza Ghalib
लोग कहते है दर्द है मेरे दिल में ,
और हम थक गए मुस्कुराते मुस्कुराते
कोई उम्मीद बर नहीं आती।
कोई सूरत नज़र नहीं आती।
लफ़्ज़ों की तरतीब मुझे बांधनी नहीं आती “ग़ालिब”।
हम तुम को याद करते हैं सीधी सी बात है।
आईना देख अपना सा मुँह ले के रह गए
साहब को दिल न देने पे कितना ग़ुरूर था
बे-वजह नहीं रोता इश्क़ में कोई ग़ालिब
जिसे खुद से बढ़ कर चाहो वो रूलाता ज़रूर है
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Hindi shayari |
चाहें ख़ाक में मिला भी दे किसी याद सा भुला भी दे,
महकेंगे हसरतों के नक़्श हो हो कर पाएमाल भी !!
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल,
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है !!
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कोई मेरे दिल से पूछे तिरे तीर–ए–नीम–कश को
ये ख़लिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता
इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं
Mirza Ghalib
Shayari in Hindi :
ज़िन्दग़ी में तो सभी प्यार किया करते हैं,
मैं तो मर कर भी मेरी जान तुझे चाहूँगा !!
इक क़ुर्ब जो क़ुर्बत को रसाई नहीं देता,
इक फ़ासला अहसास–ए–जुदाई नहीं देता
गुज़रे हुए लम्हों को मैं इक बार तो जी लूँ,
कुछ ख्वाब तेरी याद दिलाने के लिए हैं !!”
Mirza Ghalib Shayari Collection in Hindi
मैं नादान था जो वफ़ा को
तलाश करता रहा “ग़ालिब”
यह न सोचा के एक दिन अपनी साँस भी
बेवफा हो जाएगी
ग़ालिब“ छूटी शराब पर अब भी कभी कभी ,
पीता हूँ रोज़-ऐ-अबरो शब-ऐ-महताब में “
तेरे हुस्न को परदे की ज़रुरत नहीं है “ग़ालिब”
कौन होश में रहता है तुझे देखने के बाद
Mirza Ghalib Sher O Shayari in Hindi
दर्द हो दिल में तो दबा दीजिये
दिल ही जब दर्द हो तो क्या कीजिये
तू तो वो जालिम है जो दिल में रह कर भी
मेरा न बन सका , “ग़ालिब“
और दिल वो काफिर,
जो मुझ में रह कर भी तेरा हो गया
इश्क़ पर जोर नहीं ,
यह तो वो आतिश है, “ग़ालिब”
के लगाये न लगे और बुझाए न बुझे
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल,
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है !!
मुहब्बत में उनकी अना का पास रखते हैं,
हम जानकर अक्सर उन्हें नाराज़ रखते हैं !!
Hindi Shayari of
Mirza Ghalib :
चाहें ख़ाक में मिला भी दे किसी याद सा भुला भी दे,
महकेंगे हसरतों के नक़्श* हो हो कर पाएमाल^ भी !!
अर्ज़-ए-नियाज़-ए-इश्क़ के क़ाबिल नहीं रहा
जिस दिल पे नाज़ था मुझे वो दिल नहीं रहा
जी ढूँडता है फिर वही फ़ुर्सत कि रात दिन,
बैठे रहें तसव्वुर-ए-जानाँ किए हुए !!
ता फिर न इंतिज़ार में नींद आए उम्र भर,
आने का अहद कर गए आए जो ख़्वाब में !! –
क़ैद-ए-हयात ओ बंद-ए-ग़म अस्ल में दोनों एक हैं
मौत से पहले आदमी ग़म से नजात पाए क्यूँ
हम महव-ए-चश्म-ए-रंगीं-ए-जवाब* हुए हैं जबसे,
शौक़-ए-दीदार हुआ जाता है हर सवाल का रंग !!
जिस ज़ख़्म की हो सकती हो तदबीर रफ़ू की,
लिख दीजियो या रब उसे क़िस्मत में अदू की !!
इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना।
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना।।
दिल से तेरी निगाह जिगर तक उतर गई।
दोनों को इक अदा में रज़ामंद कर गई।।
Mirza Ghalib Shayari and Poet's
न सुनो गर बुरा कहे कोई,
न कहो गर बुरा करे कोई !!
रोक लो गर ग़लत चले कोई,
बख़्श दो गर ख़ता करे कोई !!
मगर लिखवाए कोई उस को खत
तो हम से लिखवाए
हुई सुब्ह और
घरसे कान पर रख कर कलम निकले..
तेरे वादे पर जिये हम
तो यह जान,झूठ जाना
कि ख़ुशी से मर न जाते
अगर एतबार होता ..
गा़लिब
Also Check - Raksha Bandhan Wishes
मरते है आरज़ू में मरने की
मौत आती है पर नही आती,
काबा किस मुँह से जाओगे ‘ग़ालिब’
शर्म तुमको मगर नही आती ।
तुम अपने शिकवे की बातें
न खोद खोद के पूछो
हज़र करो मिरे दिल से
कि उस में आग दबी है..
गा़लिब
Mirza Ghalib Best Shayari
आता है दाग-ए-हसरत-ए-दिल का शुमार याद,
मुझसे मेरे गुनाह का हिसाब ऐ खुदा न माँग।
दिल गंवारा नहीं करता शिकस्ते-उम्मीद,
हर तगाफुल पे नवाजिश का गुमां होता है।
ज़िन्दगी अपनी जब इस शक्ल से गुज़री,
हम भी क्या याद करेंगे कि ख़ुदा रखते थे।
Mirza Ghalib Shayari in Two Lines
आईना देख के अपना सा मुँह लेके रह गए,
साहब को दिल न देने पे कितना गुरूर था।
आशिक़ी सब्र तलब और तमन्ना बेताब,
दिल का क्या रंग करूँ खून-ए-जिगर होने तक।
ये रश्क है कि वो होता है हमसुख़न हमसे
वरना ख़ौफ़-ए-बदामोज़ी-ए-अदू क्या है
Mirza Ghalib Shayari Collection in Hindi
ये हम जो हिज्र में दीवार-ओ-दर को देखते हैं
कभी सबा को, कभी नामाबर को देखते हैं
वो आए घर में हमारे, खुदा की क़ुदरत हैं!
कभी हम उमको, कभी अपने घर को देखते हैं
नज़र लगे न कहीं उसके दस्त-ओ-बाज़ू को
ये लोग क्यूँ मेरे ज़ख़्मे जिगर को देखते हैं
तेरे ज़वाहिरे तर्फ़े कुल को क्या देखें
हम औजे तअले लाल-ओ-गुहर को देखते हैं
“कितना खौफ होता है शाम के अंधेरों में,
पूछ उन परिंदों से जिनके घर नहीं होते”
Mirza Ghalib Shayari Hindi
“हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पर दम निकले,
बहुत निकले मेरे अरमां लेकिन फिर भी कम निकले”
इशरत-ए-कतरा है दरिया मैं फना हो जाना,
दर्द का हद से गुजरना है दवा हो जाना
“मोहब्बत में नहीं है फर्क जीने और मरने का,
उसी को देखकर जीते हैं जिस काफिर पर दम निकले”
“दिल से तेरी निगाह जिगर तक उतर गई,
दोनों को इक अदा में रज़ामंद कर गई”
तो दोस्तों ये था हमारा Mirza Ghalib Shayari in Hindi का shayari collection अगर आपको यह पसंद आए तो जरुर इसे अपने दोस्त से कहे| और Social media पर शेअर करना ना भूले|